Kredity
PERFORMING ARTISTS
Lata Mangeshkar
Performer
Vinod Mehra
Performer
COMPOSITION & LYRICS
R.D. Burman
Composer
Texty
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है
जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है
लोग कहते हैं के बस हाथ की रेखा है
हमने देखा है दो तक़दीरों को जुड़ते हुए
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
नींद सी रहती है हलका सा नशा, रहता है
रात-दिन आँखों में इक चहरा बसा रहता है
पर लगी आँखों को देखा है कभी उड़ते हुए (बोलो)
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
जाने क्या होता है हर बात पे कुछ होता है
दिन में कुछ होता है और रात में कुछ होता है
थाम लेना जो कभी देखो हमें उड़ते हुए
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
आज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते
Written by: Gulzar, R.D. Burman

