विशाल डडलानी, Shilpa Rao, पार्थ भरत ठक्कर, अद्वैत नेमलेकर & Amitabh Varma – nadcházející koncerty

Texty

ना जाने तू, ना मैं जानूँ
कहीं तो गुम हुआ किनारा
ना तेरी ख़ता, ना मेरी ख़ता
बुझा सा फिर है क्यूँ सितारा?
सूने दिन हैं, सूनी रातें
आँसुओं में भीगी आहें, हो-ओ-ओ-हो
तू नहीं पास में, पास में तू नहीं
साथ में बस तेरी याद है
रो रही ज़िंदगी, मन ये माने नहीं
साथ में बस तेरी याद है
Hmm, ख़ामोशियाँ और तन्हाइयाँ
बस यही आज आबाद हैं
शिकवे-गिले और शिकायत लिए
होंठों पे कितनी फ़रियाद है
दिल मेरा है ख़ाली-ख़ाली
पर नज़र है एक सवाली, ओ-ओ-ओ-हो
खो गया है सुकूँ और क्या मैं कहूँ?
साथ में बस तेरी याद है
रो रही ज़िंदगी, मन ये माने नहीं
साथ में बस तेरी याद है
कैसे कहें कितने मजबूर हैं
आज तुमसे जो हम दूर हैं?
क्यूँ रोशनी आज बेनूर है?
क्यूँ ये हमको भी मंज़ूर है?
छा रहा है यूँ अँधेरा
रो रहा है दिल ये मेरा, ओ-ओ-ओ-हो
अश्क भी सूख के गुम कहीं हो गए
साथ में बस तेरी याद है
रो रही ज़िंदगी, मन ये माने नहीं
खो गई है सुकूँ की घड़ी
Written by: Amitabh Varma, Parth Bharat Thakkar
instagramSharePathic_arrow_out