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वो पास अपने बसेरे का कब उठाएगा
जो हमकलाम मुसलसल मुहाजिरीन से है
वो पास अपने बसेरे का कब उठाएगा
जो हमकलाम मुसलसल मुहाजिरीन से है
वो सायादार अगर है तो इस यक़ीन से है
दरख़्त को ये पता है कि वो ज़मीन से है
दरख़्त को ये पता है कि वो ज़मीन से है
अज़ीयतों से गुज़रकर जुनूँ का रंग उभरे
अज़ीयतों से गुज़रकर जुनूँ का रंग उभरे
बराहे रास्त तमाशा, तमाशबीन से है
दरख़्त को ये पता है कि वो ज़मीन से है
वो सायादार
वो सायादार
वो सायादार
Written by: Salman Khayaal, Shivargh Bhattacharya


