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कमाता हूँ बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है
कमाता हूँ बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है
कुछ income tax ले जाता है, कुछ बीवी उड़ाती है
कुछ income tax ले जाता है, कुछ बीवी उड़ाती है
कमाता हूँ बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है (अच्छा)
कहो तुम कुछ भी लेकिन ये समझदारों का कहना है
कहो तुम कुछ भी लेकिन ये समझदारों का कहना है, वाह!
लुटा देते हैं घर को मर्द, औरत घर बनाती है
लुटा देते हैं घर को मर्द, औरत घर बनाती है
हाँ, तेरी इन साड़ियों ने, जंपरों ने मार डाला है
हाँ, तेरी इन साड़ियों ने, अरे, जंपरों ने मार डाला है
तेरी दीवाली की ख़ातिर मेरा निकला दिवाला है
मैं कड़का हूँ, मैं कड़का हूँ
मैं कड़का जेब से, तू scent कपड़ों में लगाती है
फतेह भी शहर में चलती है क्यूँ टक्की में जाते हो?
Cinema देखते हो, होटलों के bill चुकाते हो
कमाई आधी बाहर और आधी घर में आती है
कमाई आधी बाहर और आधी घर में आती है
लुटा देते हैं घर को मर्द, औरत घर बनाती है
कमाता हूँ बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है
मैं बातें जब सुनाता हूँ मुझे आँखें दिखाती है
मैं बातें जब सुनाता हूँ मुझे आँखें दिखाती है
कमाता हूँ बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है, तदाता
उड़ा देते हैं पैसा बाद में फिर हाथ मलते हैं
क्यूँ? बीवी ने जाके कह दिया, हाथ मलो तुम?
दबा के मुँह में cigarette आप ऐसे-ऐसे चलते हैं
मुसीबत सर पे जब आती है बीवी काम आती है
मुसीबत सर पे जब आती है बीवी काम आती है
लुटा देते हैं घर को मर्द, औरत घर बनाती है
कमाता हूँ बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है
Written by: Avinash Vyas, Raja Mehdi Ali Khan