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Credits

PERFORMING ARTISTS
Agam Kumar Nigam
Agam Kumar Nigam
Performer
Tulsi Kumar
Tulsi Kumar
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Nikhil
Nikhil
Composer
Praveen Bhardwaj
Praveen Bhardwaj
Lyrics

Lyrics

रोते-रोते यूँ ही रात गुज़र जाती है
रोते-रोते यूँ ही दिन गुज़र जाता है
रोते-रोते यूँ ही रात गुज़र जाती है
रोते-रोते यूँ ही दिन गुज़र जाता है
जैसे कोई फ़र्श पे टूट के शीशा बिखर जाता है
ऐसे टूटा हुआ दिल अपना नज़र आता है
रोते-रोते यूँ ही रात गुज़र जाती है
रोते-रोते यूँ ही दिन गुज़र जाता है
जैसे कोई फ़र्श पे टूट के शीशा बिखर जाता है
ऐसे टूटा हुआ दिल अपना नज़र आता है
जैसे कोई फ़र्श पे टूट के शीशा बिखर जाता है
ऐसे टूटा हुआ दिल अपना नज़र आता है
तुम्हारी याद आती है, मैं कितना टूट जाता हूँ
बरसती हैं मेरी आँखें, मैं बस आँसू बहाता हूँ
तुम्हारी याद आती है, मैं कितना टूट जाता हूँ
बरसती हैं मेरी आँखें, मैं बस आँसू बहाता हूँ
तुम किसी और के हो अब, सहा मुझसे नहीं जाता
मुझे जो दर्द होता है, कहा मुझसे नहीं जाता
धीरे-धीरे यूँ ही रात गुज़र जाती है
धीरे-धीरे यूँ ही दिन गुज़र जाता है
जैसे कोई फ़र्श पे टूट के शीशा बिखर जाता है
ऐसे टूटा हुआ दिल अपना नज़र आता है
रोते-रोते यूँ ही रात गुज़र जाती है
रोते-रोते यूँ ही दिन गुज़र जाता है
निभाने थे नहीं वादे, क्यूँ वादे कर दिए हम से?
"शिक़ायत है, शिक़ायत ये," कहेंगे उम्र-भर तुम से
हो, निभाने थे नहीं वादे, क्यूँ वादे कर दिए हम से?
"शिक़ायत है, शिक़ायत ये," कहेंगे उम्र-भर तुम से
हज़ारों चोट उठती हैं तेरे सीने में रह-रह कर
तुम्हें मालूम, क्यूँ अब मैं यूँ ही जीती हूँ मर-मर कर
छुपके-छुपके यूँ ही रात गुज़र जाती है
छुपके-छुपके यूँ ही दिन गुज़र जाता है
जैसे कोई फ़र्श पे टूट के शीशा बिखर जाता है
ऐसे टूटा हुआ दिल अपना नज़र आता है
जैसे कोई फ़र्श पे टूट के शीशा बिखर जाता है
ऐसे टूटा हुआ दिल अपना नज़र आता है
रोते-रोते यूँ ही रात गुज़र जाती है
रोते-रोते यूँ ही दिन गुज़र जाता है
जैसे कोई फ़र्श पे टूट के शीशा बिखर जाता है
ऐसे टूटा हुआ दिल अपना नज़र आता है
Written by: Nikhil, Praveen Bhardwaj
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