Credits
PERFORMING ARTISTS
Mohammed Aziz
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Nadeem Shravan
Composer
Sameer
Songwriter
Lyrics
क्यूँ देश को, यारों, बेचते हो? धरती का सौदा करते हो
क्यूँ देश को, यारों, बेचते हो? धरती का सौदा करते हो
रब से भी नहीं तुम डरते हो, ज़रा सोचो, ज़रा समझो
सब दुनिया-दुनिया करते हैं
ये दुनिया तो कुछ भी नहीं
एक ख़्वाब है, साया है आख़िर
ये दुनिया तो कुछ भी नहीं
सब दुनिया-दुनिया करते हैं
क्यूँ चैन-अमन की बस्ती में नफ़रत की आग जलाते हो?
कुछ नोटों-वोटों की ख़ातिर दंगे और फ़साद कराते हो
ऐसा करके क्या पाते हो? तुम कैसे इंसाँ हो!
सब दुनिया-दुनिया करते हैं
ये दुनिया तो कुछ भी नहीं
एक ख़्वाब है, साया है आख़िर
ये दुनिया तो कुछ भी नहीं
हैवानों से, ग़द्दारों से हमको मिलके लड़ना होगा
मिलके आगे बढ़ना होगा, अब डरना तुम छोड़ो
सब दुनिया-दुनिया करते हैं
ये दुनिया तो कुछ भी नहीं
एक ख़्वाब है, साया है आख़िर
ये दुनिया तो कुछ भी नहीं
Sukhdev, Bhagat Singh, Rajguru फिर इस धरती पे आएँगे
Sukhdev, Bhagat Singh, Rajguru फिर इस धरती पे आएँगे
आज़ादी हमको दिलाएँगे, है हमको ये भरोसा
सब दुनिया-दुनिया करते हैं
ये दुनिया तो कुछ भी नहीं
एक ख़्वाब है, साया है आख़िर
ये दुनिया तो कुछ भी नहीं
सब दुनिया-दुनिया करते हैं
Written by: Nadeem - Shravan, Sameer