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PERFORMING ARTISTS
Vishal Khurana
Vishal Khurana
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Vishal Khurana
Vishal Khurana
Composer

Lyrics

धर्म संकट, धर्म युद्ध
जीवन बना करुक्षेत्र
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते
काया क्या है? केवल है माया
धरती चाहे जो ऐसी है छाया
अग्नि, अकाशा, वायु, जल, वसुधा
बस पाँच तत्व का पिंजरा है काया
न जायते म्रियते वा कदाचिन्
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे
इस पिंजरे में एक हंस है जकड़ा
जो अजर-अमर है आत्मा कहलाया
मृत्यु क्या है? केवल है माया
उड़ गया रे हंसा अपने घर आया
तू मौत का ग़म क्यूँ करे?
प्रारब्ध से तू क्यूँ डरे?
क्यूँ?
ये आत्मा मेरी-तेरी, ये जन्म और मृत्यु सभी
क्या सूर्य और क्या ये जमीं, समयचक्र से ही सब चली (धर्म युद्ध)
तेरे वश में बस तेरा काम है, बस कर्म पर अधिकार है
कर्म में ही तेरी शान है, कर्म तेरी पहचान है, बस कर्म
चल छोड़ मन की कमजोरियाँ, रिश्तों की मजबूरियाँ
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
अथ चेत्त्वमिमं धर्म्यं सङ्ग्रामं न करिष्यसि
ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमवाप्स्यसि
जीवन क्या है धूप और छाया, हंसा, क्यूँ दुनिया में आया?
कर्तव्य अटल है, कर्म अटल, वो अपना कर्म करने आया
(वो अपना कर्म करने आया)
तेरे वश में बस तेरा काम है, बस कर्म पर अधिकार है
कर्म में ही तेरी शान है, कर्म तेरी पहचान है, बस कर्म
सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि
क्या सही-गलत चुनने आया, जीवन का रण लड़ने आया
सूरज की तरह हर अंधियारा, कर भस्म खुद ही जलने आया
(सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ)
(ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि
चल छोड़ मन की कमजोरियाँ, रिश्तों की मजबूरियाँ
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
धर्म संकट, धर्म युद्ध
जीवन बना करुक्षेत्र
Written by: Vishal Khurana
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