Letra

ना जाने कब से
उम्मीदें कुछ बाकी हैं
मुझे फिर भी तेरी याद
क्यूं आती है
ना जाने कब से
दूर जितना भी तुम मुझसे, पास तेरे मैं
अब तो आदत सी है मुझको ऐसे जीने में
जिन्दगी से कोई सिकवा, ही नहीं है
अब तो जिन्दा हूँ मैं इस नीले आसमा में
चाहत ऐसी है ये तेरी, बढती जाए
आहट ऐसी है ये तेरी, मुझको सताए
यादें गहरी हैं इतनी, दिल डूब जाए
और आँखों में ये गम, नम बन जाए
अब तो आदत सी है मुझको ऐसे जीने में
सभी राते हैं
सभी बाते हैं
भुला दो उन्हें
मिटा दो उन्हें
अब तो आदत सी है मुझको
Written by: Jal, Mithoon Sharma, Sayeed Quadri
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