Paroles

हाल दिल का सुनाएँ तो कैसे?
राज़ अपना छुपाएँ तो कैसे?
आग ऐसी लगी जो बुझ ना सकी
अब ये दामन बचाएँ तो कैसे?
हाल दिल का...
आए आँसू तो पी लिए हमने
होंठ काँपे तो सी लिए हमने
खुल के आहें तो भर नहीं सकते
ज़ख़्म दिल का दिखाएँ तो कैसे?
हाल दिल का...
ये ख़ता है कि बे-ख़ता हैं हम
फिर भी तोहमत है, बेवफ़ा हैं हम
हमसे क़िस्मत ने बेवफ़ाई की
ये हक़ीक़त बताएँ तो कैसे?
हाल दिल का...
दिल की बस्ती उजड़ तो जाती है
बात बन कर बिगड़ तो जाती है
जब मुक़द्दर ने साथ छोड़ दिया
फिर ये बिगड़ी बनाएँ तो कैसे?
हाल दिल का...
Written by: Prem Dhawan, Ravi
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