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मुझे पीने का शौक़ नहीं, पीता हूँ ग़म भुलाने को
मुझे पीने का शौक़ नहीं, पीता हूँ ग़म भुलाने को
तेरी यादें मिटाने को...
तेरी यादें मिटाने को, पीता हूँ ग़म भुलाने को
मुझे पीने का शौक़ नहीं, पीती हूँ ग़म भुलाने को
तेरी यादें मिटाने को...
तेरी यादें मिटाने को, पीती हूँ ग़म भुलाने को
मुझे पीने का शौक़ नहीं, पीता हूँ ग़म भुलाने को
लाखों में, हज़ारों में इक तू ना नज़र आई
लाखों में, हज़ारों में इक तू ना नज़र आई
तेरा कोई ख़त आया ना कोई ख़बर आई
क्या तूने भुला डाला...
क्या तूने भुला डाला अपने इस दीवाने को?
मुझे पीने का शौक़ नहीं, पीती हूँ ग़म भुलाने को
खोई वो किताब-ए-दिल, जिस दिल का है ये क़िस्सा
खोई वो किताब-ए-दिल, जिस दिल का है ये क़िस्सा
इक हिस्सा है पास मेरे, तेरे पास है इक हिस्सा
मैं पूरा करूँ कैसे इस दिल के फ़साने को?
मुझे पीने का शौक़ नहीं, पीता हूँ ग़म भुलाने को
मिल जाते अगर अब हम, आग लग जाती पानी में
मिल जाते अगर अब हम, आग लग जाती पानी में
बचपन सी वही दोस्ती हो जाती जवानी में
चाहत में बदल देते...
चाहत में बदल देते हम इस दोस्ताने को
मुझे पीने का शौक़ नहीं, पीती हूँ ग़म भुलाने को
मुझे पीने का शौक़ नहीं, पीता हूँ ग़म भुलाने को
Written by: Anand Bakshi, Laxmikant-Pyarelal
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