Dari
PERFORMING ARTISTS
Chandan Dass
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Chandan Dass
Composer
Wajid Sehri
Songwriter
Lirik
इस सोच में बैठा हूँ, क्या ग़म उसे पहुँचा है
इस सोच में बैठा हूँ, क्या ग़म उसे पहुँचा है
बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें हैं...
बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें हैं, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच में बैठा हूँ, क्या ग़म उसे पहुँचा है
जिस फूल को तितली ने चूमा मेरी जानिब से
जिस फूल को तितली ने चूमा मेरी जानिब से
ज़ालिम ने उसी गुल को मसला नहीं, रौंदा है
बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें हैं, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच में बैठा हूँ, क्या ग़म उसे पहुँचा है
हालाँकि पुकारा था तुम ही ने मुझे, लेकिन
हालाँकि पुकारा था तुम ही ने मुझे, लेकिन
महसूस हुआ जैसे कोयल ने पुकारा है
बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें हैं, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच में बैठा हूँ, क्या ग़म उसे पहुँचा है
मुड़ कर भी नहीं देखा झोंके की तरह उसने
मुड़ कर भी नहीं देखा झोंके की तरह उसने
वो मेरे बराबर से हँसता हुआ गुज़रा है
बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें हैं...
बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें हैं, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच में बैठा हूँ, क्या ग़म उसे पहुँचा है
Written by: Chandan Dass, Wajid Sehri