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PERFORMING ARTISTS
Ajay-Atul
Ajay-Atul
Performer
Kunal Ganjawala
Kunal Ganjawala
Performer
Sudesh Bhosle
Sudesh Bhosle
Performer
Swapnil Bandodkar
Swapnil Bandodkar
Performer
Padmanabh Gaikwad
Padmanabh Gaikwad
Performer
Priyanka Barve
Priyanka Barve
Performer
Mahesh Mashalkar
Mahesh Mashalkar
Actor
Nawab Shah
Nawab Shah
Actor
Kashyap Parulekar
Kashyap Parulekar
Actor
Krutika Deo
Krutika Deo
Actor
Abhishek Nigam
Abhishek Nigam
Actor
Vinita Mahesh
Vinita Mahesh
Actor
Sahil Salathia
Sahil Salathia
Actor
Milind Gunaji
Milind Gunaji
Actor
Dnyanesh Wadekar
Dnyanesh Wadekar
Actor
Paresh Shukla
Paresh Shukla
Actor
Gashmeer Mahajani
Gashmeer Mahajani
Actor
Kriti Sanon
Kriti Sanon
Actor
Padmini Kolhapure
Padmini Kolhapure
Actor
Mohnish Bahl
Mohnish Bahl
Actor
Arjun Kapoor
Arjun Kapoor
Actor
COMPOSITION & LYRICS
Ajay-Atul
Ajay-Atul
Composer
Javed Akhtar
Javed Akhtar
Lyrics

歌詞

हे बोले धरती जयकारा, गगन है सारा गूंजा रे
जग में लहराया न्यारा ध्वज है हमारा ऊंचा रे
हम वो योद्धा, वो निडर, हम जो भी दिशा में जाएं
सारे पथ चरण छुएं और पर्वत शीश नवाये
रास्ते से हट जाएं नदियां होके हवाएं
हम हैं जियाले, जीतने को हम रन मैं उतरते हैं
हम सूरज हैं, अंत हमी रातों का करते हैं
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
जो रक्त है तन में बहता वो हमसे है ये कहता
सम्मान के बदले जान भी दें तो नही है घाटा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
वीरता हमने बोई और ये फल पाया
दूर तक अब है फैली अपनी ही छाया
हो, जीवन जो रणभूमि रे करता है तांडव
आज उसी ने है विजय का नगाड़ा बजाया
अपनी है जो गाथा अब है समय सुनाता
सब को है ये बताता कैसे सुख हमने बाटा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
सच के सिपाही, अलबेले राही क्या जानते हो तुम?
जब तुम नही थे हम कब यहीं थे, हम भी थे जैसे घूम
तुम ध्यान में थे, तुम प्राण में थे जैसे जनम-जनम
जब तीर तुमपे बरसे तो जैसे घायल हुए थे हम
हो, देखो तो मुझसे कह के मैं जान दे दूं तुम पे
क्या तुम नहीं ये जानते
दुविधा के आगे जब नारी जागे हिम्मत से काम ले
चूड़ी उतार, कंगन उतार तलवार थाम ले
मैंने ली आज शपथ है वीरों का पथ है मेरा रे
लक्ष्य अपना जो बना लूँ वहीं पे डालूं डेरा रे
हम वो योद्धा वो निडर हम जो भी दिशा में जाएं
सारे पथ चरण छुएं और पर्वत शीश नवाये
रास्ते से हट जाएं नदियां होके हवाएं
हम हैं जियाले जीतने को हम रन मैं उतरते हैं
हम सूरज हैं, अंत हमी रातों का करते हैं
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
जो रक्त है तन में बहता वो हमसे है ये कहता
सम्मान के बदले जान भी दें तो नही है घाटा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
Written by: Ajay-Atul, Javed Akhtar
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