가사

बीते लम्हें... दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं बीते लम्हें... चन्द लम्हात के वास्ते ही सही मुस्कुरा कर मिली थी मुझे ज़िन्दगी चन्द लम्हात के वास्ते ही सही मुस्कुरा कर मिली थी मुझे ज़िन्दगी तेरी आगोश में दिन थे मेरे कटे तेरी बाहों में थी मेरी रातें कटी आज भी जब वो पल मुझको याद आते हैं दिल से सारे गमों को भुला जाते हैं दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं बीते लम्हें... मेरे कांधे पे सिर को झुकाना तेरा मेरे सीने में खुद को छुपाना तेरा मेरे कांधे पे सिर को झुकाना तेरा मेरे सीने में खुद को छुपाना तेरा आके मेरी पनाहों में शाम-ओ-सहर कांच की तरह वो टूट जाना तेरा आज भी जब वो मन्ज़र नज़र आते हैं दिल की बिरानियों को मिटा जाते हैं दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं दर्द में बीते लम्हें... दर्द में बीते लम्हें...
Writer(s): Sayeed Quadri Lyrics powered by www.musixmatch.com
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