Lata Mangeshkar의 상위 곡
크레딧
실연 아티스트
Lata Mangeshkar
실연자
Meena Kumari
실연자
I. S. Johar
실연자
작곡 및 작사
R.D. Burman
작곡가
Majrooh Sultanpuri
송라이터
가사
अरे, गंगा बाई
थे परे ने मुखड़ा करके मन्ने दिल को कित्ते देर और तरसाओगा?
ई भोजाऊ को कह दे गाणे को श्री गणेश
ज़रूर सेठ जी
पर मैं देख रही हूँ, आज महफ़िल में मज़ाक का रंग छाया हुआ है
अगर इजाज़त हो तो मैं भी एक हल्का सा मज़ाक करूँ?
अजी, एक मजाक की क्या बात करो हो, गंगा बाई
एक हजार मजाक करो
दिल ये कुणको है, हमारी जान-ए-जिगर कुणको है
तीर पे तीर चलाओ, थाणे डर कुणको है (वाह सेठ जी! मुकर्रर)
अजी, मुक़द्दर तो इणके हाथ में है
लेकिन सेठी जी, डरती हूँ
मज़ाक कभी-कभी कड़वा होता है
कहीं बुरा ना लग जाए
के बात करो जी?
थारी तो गाली भी फूल बणके लागे मन्ने, फूल बणके
वाह सेठ जी!
वल्लाह, हज़ूर, जवाब हो तो आप जैसा (thank you)
हाँ, तो गंगा बाई, हो जाए कुछ करारी-करारी चीज़, एँ
तो लिजिए मुलाहिज़ा फ़रमाइए
मगर मेरे सर की क़सम, उठ ना जाइएगा महफ़िल से
क़यामत तक ना उठेंगे, जान-ए-मन, वादा रहा
और सेठ जी, आप?
अजी, हमारी के बात करो हो
थारी महफ़िल में तो देवता भी उतर आवे
तो स्वर्ग की अप्सरा ने भूल जावे
एक बार नजराँ मिलाकर मुस्कुरा दयो, गंगा बाई
तो सारी ज़िंदगी अठे ही लेटा रहूँ
तो वादा रहा (अजी, वादे की क्या बात करते हो)
अभी लेट जाता हूँ, नई
तो जिगर थाम के लेटो, मेरी बारी आएगी
आज तो मेरी हँसी उड़ाई
जैसे भी चाहा पुकारा
आज तो मेरी हँसी उड़ाई
जैसे भी चाहा पुकारा
कल जो मुझे इन गलियों में लाया
वो भी था हाथ तुम्हारा
आज तो मेरी हँसी उड़ाई
जैसे भी चाहा पुकारा
लुटे यहाँ चमन अँधेरों में
बिके यहाँ बदन अँधेरों में
लुटे यहाँ चमन अँधेरों में
बिके यहाँ बदन अँधेरों में
भूली-भटकी इन बस्ती में, हो
रूप की चाँदी, लाज के सोने
का व्योपार है सारा
कल जो मुझे इन गलियों में लाया
वो भी था हाथ तुम्हारा
आज तो मेरी हँसी उड़ाई
जैसे भी चाहा पुकारा
सोचा कभी, मैं भी हूँ एक इंसाँ भी
मैं ही कभी बहन भी हूँ, माँ भी
सोचा कभी, मैं भी हूँ एक इंसाँ भी
मैं ही कभी बहन भी हूँ, माँ भी
तुम तो प्यासी, प्यासी आँखें लेके, हो
करने को आए मेरे लबों पर
मेरे लहू का नज़ारा
कल जो मुझे इन गलियों में लाया
वो भी था हाथ तुम्हारा
आज तो मेरी हँसी उड़ाई
जैसे भी चाहा पुकारा
सब को गुनाहों में मगन देखा
देखा शरीफ़ों का चलन देखा
सब को गुनाहों में मगन देखा
देखा शरीफ़ों का चलन देखा
सब की इनायत, हाय, देखी मैंने, हो
मेरे ही दिल के टुकड़े को मेरा
आशिक़ कह के पुकारा
कल जो मुझे इन गलियों में लाया
वो भी था हाथ तुम्हारा
आज तो मेरी हँसी उड़ाई
जैसे भी चाहा पुकारा
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Rahul Dev Burman
Lyrics powered by www.musixmatch.com