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बिखर गए बचपन के सपने
अरमानों की शाम ढले
कहीं सजे बारात किसी की
कहीं किसी का प्यार जले
कह दो, "कोई ना करे यहाँ प्यार"
कह दो, "कोई ना करे यहाँ प्यार"
इसमें ख़ुशियाँ हैं कम, बेशुमार हैं ग़म
एक हँसी और आँसू हज़ार
कह दो, "कोई ना करे यहाँ प्यार"
प्रीत पतंगा दिए से करे
प्रीत पतंगा दिए से करे
उसकी ही लौ में वो जल-जल मरे
मुश्किल राहें यहाँ, अश्क और आहें यहाँ
इसमें चैन नहीं, ना क़रार
कह दो, "कोई ना करे यहाँ प्यार"
हमने तो समझा था फूल खिले
हमने तो समझा था फूल खिले
चुन-चुन के देखा तो काँटे मिले
ये अनोखा जहाँ, हर-दम धोखा यहाँ
इस वीराने में कैसी बहार?
कह दो, "कोई ना करे यहाँ प्यार"
इसमें ख़ुशियाँ हैं कम, बेशुमार हैं ग़म
एक हँसी और आँसू हज़ार
कह दो, "कोई ना करे यहाँ प्यार"
Writer(s): Bharat Vyas, Vasant Shantaram Desai
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