Letra
Aa-ha-ha
Aa-ha-ha
ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथो की अब गिरह दी ऐसे
कि टूटे ये कभी ना
ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथो की अब गिरह दी ऐसे
कि टूटे ये कभी ना
चलना कही सपनो के गाँव रे
छूटे ना फिर भी धरती से पाओं रे
आग और पानी से फिर लिख दे वो वादे सारे
साथ ही में रोए हंसे संग धूप छाओं रे
आग और पानी से फिर लिख दे वो वादे सारे
साथ ही में रोए हंसे संग धूप छाओं रे
ओ साथी मेरे
हाथो में तेरे
हाथो की अब गिरह दी ऐसे
कि टूटे ये कभी ना
Aa-ha-ha
Aa-ha-ha
Aa-ha-ha
आ-आ, आह-आह
हम जो बिखरे कभी
तुमसे जो हम उधड़े कहीं
बुन ले ना फिर से हर धागा
हम तोह अधूरे यहां
तुम भी मगर पूरे कहाँ
करले अधूरेपन को हम आधा
जो अभी हमारा हो मीठा हो या खारा हो
आओ ना कर ले हम सब साझा
ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथो की अब गिरह दी ऐसे
कि टूटे ये कभी ना
गहरी अंधेरी या उजले सवेरे हो
ये सारे तोह है तुम से ही
आँख में तेरी-मेरी उतरें इक साथ ही
दिन हो पतझर की राते या फूलो के
कितना भी हम रूठे पर बात करे साथी
मौसम मौसम यूँही साथ चलेंगे हम
लम्बी इन राहों में या फूंक के पाओं से
रखेंगे पाओं पे तेरे मरहम
आओ मिलें हम इस तरह
आए ना कभी विरह
हम से मैं ना हो रिहा
हमदम तुम ही हो, हरदम तुम ही हो
अब है यही दुआ
साथी रे उम्र के सलवट भी साथ रहेंगे हम
गोद में लेके सर से चांदी चुनेंगे हम
मरना मर साथी बरसात जियेंगे हम
ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथो की अब गिरह दी ऐसे
कि टूटे ये कभी ना
चल ना कहीं सपनों के गाँव रे
छूटे ना फिर भी धरती से पाओं रे
आग और पानी से फिर लिख दे वो वादे सारे
साथ ही में रोए हंसे संग धूप छाओं रे
आग और पानी से फिर लिख दे वो वादे सारे
साथ ही में रोए हंसे संग धूप छाओं रे
ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथो की अब गिरह दी ऐसे
कि टूटे ये कभी ना
कभी ना
हे-ऊ-आह
Written by: Krsna Solo, Raj Shekhar

