Şarkı sözleri
चाँद सा है भोला भाला,
प्यार से है तर जो सारा,
दिल है भारी! कोई सम्हाले ना।
याद हैं अब तक सपने सारे,
हल्की-हल्की किरणों वाले,
भूलूं अगर तो, कोई बचालेना!
इन उड़ानों ने गुथी है साँसे मेरी नई।
मुस्कानों की हुई आदतें दौड़ी आएं हर घड़ी!
इन उड़ानों ने गुथी है साँसे मेरी नई।
रंग भर के हर पल में लगे अब छू! हो जाऊं कहीं।
देखता है चाव से जो आसमां के पंछियों को,
मन जो खोले पर तो रोकूं क्या!
या घूमते हैं बादलों की बाज़ुओं को थाम कर जो,
आज उन्हें संगी बना लूँ क्या?
इन उड़ानों ने गुथी है साँसे मेरी नई।
रंग भर के हर पल में लगे अब छू! हो जाऊं कहीं।
जग से बिछड़ गए, आज संवर गए,
मेरे सारे बंधन हो...
छन-छन कर पैरों से लिपट गए,
मेरे सारे बंधन हो...
जग से बिछड़ गए, आज संवर गए,
मेरे सारे बंधन हो...
छन-छन कर पैरों से लिपट गए,
मेरे सारे बंधन हो...
बोलूं तो बन जाए रागिनी, छू लूँ तो रंग छलकें!
थोड़ी सी मैं भी हूँ चमकने लगी, सूरज की ओर बढ़ के।
सब पूछें, “अरे! ओ बावली, क्या हाल हैं आज तेरे!
क्या रूप है! क्या चाल है! क्या रंग-ढंग हैं ढलके!”
अब सोचूं, क्या बोल दूं?
ये बड़ा राज़ क्या खोल दूं?
न वो समझेंगे मेरे मन की,
लब चाहे कितना कहें।
आसमां सी छा गई हूं। ख़ुद से मैं टकरा गई हूँ।
टूटी कल की बातें जोड़ूं क्या?
या घूमते हैं बादलों की बाज़ुओं को थाम कर जो,
आज उन्हें संगी बना लूं क्या?
या खुल के आज कह दूं एक बात सुंदर सुनें,
खुश हूँ मैं बस और क्या बढ़कर चाहिये अब मुझे।
इन उड़ानों ने गुथीं हैं साँसे मेरी नई।
मुस्कानों की हुई आदतें दौड़ी आएं हर घड़ी!
जग से बिछड़ गए, आज संवर गए,
मेरे सारे बंधन हो...
छन-छन कर पैरों से लिपट गए,
मेरे सारे बंधन हो...
जग से बिछड़ गए, आज संवर गए,
मेरे सारे बंधन हो...
छन-छन कर पैरों से लिपट गए,
मेरे सारे बंधन हो...
Written by: Shivani Sharma

