Lyrics
फज़ा भी है जवां-जवां
हवा भी है रवां-रवां
सुना रहा है ये समा
सुनी-सुनी सी दास्तां
फज़ा भी है जवां-जवां
पुकारते हैं दूर से
वो काफिले बहार के
बिखर गये हैं रंग से
किसी के इंतजार के
लहर-लहर के होंठ पर
वफ़ा की हैं कहानियां
सुना रहा है ये समा, सुनी-सुनी सी दास्तां
फज़ा भी है जवां-जवां
बुझी मगर बुझी नहीं
न जाने कैसी प्यास है
करार दिल से आज भी
ना दूर है ना पास है
ये खेल धूप-छाँव का
ये कुर्बतें, ये दूरियां
सुना रहा है ये समा, सुनी-सुनी सी दास्तां
फज़ा भी है जवां-जवां
हर एक पल को ढूंढता
हर एक पल चला गया
हर एक पल फिराक का
हर एक पल विसाल का
हर एक पल गुजर गया
बना के दिल पे इक निशां
सुना रहा है ये समा, सुनी-सुनी सी दास्तां
फज़ा भी है जवां-जवां
हवा भी है रवां-रवां
सुना रहा है ये समा
सुनी-सुनी सी दास्तां
फज़ा भी है जवां-जवां
Writer(s): Haasan Kamal, Ravi
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