Lyrics

जब रुलाना ही था तुझे तो फिर हँसाया क्यूँ? साथ रह कर भी है जुदा तो पास आया क्यूँ? जब रुलाना ही था तुझे तो फिर हँसाया क्यूँ? साथ रह कर भी है जुदा तो पास आया क्यूँ? जब रुलाना ही था तुझे तो फिर हँसाया क्यूँ? साथ रह कर भी है जुदा तो पास आया क्यूँ? क्यूँ यक़ीं उठ गया दिल से कहीं वफ़ाओं का? प्यार महसूस क्यूँ होने लगा गुनाहों सा? क्यूँ यक़ीं उठ गया दिल से कहीं वफ़ाओं का? प्यार महसूस क्यूँ होने लगा गुनाहों सा? प्यार महसूस क्यूँ होने लगा गुनाहों सा? आया अपने बीच में किसी का साया क्यूँ? जब रुलाना ही था तुझे तो फिर हँसाया क्यूँ? साथ रह कर भी है जुदा तो पास आया क्यूँ? क्यूँ अजनबी की तरह हम से पेश आता है? चंद लम्हे भी हमें तू ना दे पाता है क्यूँ अजनबी की तरह हम से पेश आता है? चंद लम्हे भी हमें तू ना दे पाता है चंद लम्हे भी हमें तू ना दे पाता है ऐसी क्या हमने की ख़ता, हमें सताया क्यूँ? जब रुलाना ही था तुझे तो फिर हँसाया क्यूँ? साथ रह कर भी है जुदा तो पास आया क्यूँ? जब रुलाना ही था तुझे तो फिर हँसाया क्यूँ? साथ रह कर भी है जुदा तो पास आया क्यूँ?
Writer(s): Sayeed Quadri Lyrics powered by www.musixmatch.com
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