Credits

PERFORMING ARTISTS
Mitali Singh
Mitali Singh
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Gulzar
Gulzar
Songwriter

Lyrics

कल की रात...
कल की रात गिरी थी शबनम
कल की रात
कल की रात गिरी थी शबनम
हौले-हौले कलियों के
बंद होंठों पर बरसी थी शबनम
कल की रात
फूलों के रुख़्सारों से रुख़्सार मिला कर
नीली रात की चुनरी के साए में शबनम
परियों के अफ़सानों के पर खोल रही थी
कल की रात, कल की रात, कल की रात
दिल की मद्धम-मद्धम हलचल में
दो रूहें तैर रही थीं
जैसे अपने नाज़ुक पंखों पर
आकाश को तोल रही हों
आकाश को तोल रही हों
कल की रात
कल की रात बड़ी उजली थी
कल की रात उजले थे सपने
कल की रात तेरे संग गुज़री
कल की रात, कल की रात
कल की रात, कल की रात
कल की रात
(कल की रात, कल की रात)
(कल की रात, कल की रात)
(कल की रात, कल की रात)
(कल की रात, कल की रात)
कल की रात
Written by: Gulzar
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