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कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
जो मनवा के संदूक़ में बंदूक़ छुपई के
नीयत में मोहब्बत की ज़रा भूख मिलई के
सुनसान से पिछवाड़े में जो तंग गली है
उस तंग सी गलियारे में माशूक़ बुलई ले
मैल तन की बदन से धुलेगी
आबरू की सिलाई खुलेगी
शर्म का भी लिफ़ाफ़ा फटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
जो भी कटेगा वो सब में बटेगा रे
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
रूखी है, ज़रा सूखी है ज़मीं बरसों से जिस्म की
बरसा दे, रस बरसा दे मेरे होंठो पे तू रंगीं
मैं रूखी है, ज़रा सूखी है ज़मीं बरसों से जिस्म की
बरसा दे, रस बरसा दे मेरे होंठो पे तू रंगीं
आज कर दे तू ऐसी तबाही
ख़ाली होते ही पूरी सुराही
ख़ुद-ब-ख़ुद जो बढ़ा है घटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो... (आएँ)
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
देसी हूँ, मुझे गटका ले, तुझे भुलवा दूँ बिलायती
मुद्दे की फिर बातें हो, बड़ी कर ली है बकैती (अरे, बकैती)
देसी हूँ, मुझे गटका ले, तुझे भुलवा दूँ बिलायती
मुद्दे की फिर बातें हो, बड़ी कर ली है बकैती
जैसे ही हो ख़तम काम ३५
होते-होते 'छुवा रे' से kiss-miss
नाम तू सिर्फ़ मेरा रटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
कद्दू कटेगा तो... (हाए)
कद्दू कटेगा तो सब में बटेगा
Written by: Ashish Pandit, Pritam
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