歌词

ॐ यस्याग्रे द्राट द्राट द्रुट द्रुट ममलं टंट टंट टंटटम्
तैलं तैलं तु तैलं खुखु खुखु खुखुमं खंख खंख सखंखम्
डंस डंस डुडंस डुहि डुहि चकितं भूपकं भूय नालम्
ध्यायस्ते विप्रगाहे सवसति सवलः पातु वः चंद्रचूडः
जिया स्वाभिमान में जो, वही दानव हूँ मैं
जिसने जीते तीनों लोक, वही मानव हूँ मैं
सारे ग्रहों को है बाँधा, करा काल भी अधीन
महादेव का जो भक्त, वही रावण हूँ मैं
जिया स्वाभिमान में जो, वही दानव हूँ मैं
जिसने जीते तीनों लोक, वही मानव हूँ मैं
सारे ग्रहों को है बाँधा, करा काल भी अधीन
महादेव का जो भक्त, वही रावण हूँ मैं
रावण हूँ मैं, वही रावण हूँ मैं
रावण हूँ मैं, वही रावण हूँ मैं
रावण हूँ, रावण हूँ
राव-राव-राव-राव-राव-राव-रा-र-रा-रा-रा-रावण हूँ मैं
वेदों का है ज्ञान मुझमें, भक्त महादेव का
सामने ना टिकता मेरे स्वर्ग का कोई देवता
मैं ही सर्वश्रेष्ठ, और मैं ही परम ज्ञानी हूँ
इतनी योग्यता है तभी थोड़ा अभिमानी हूँ
मैं काल का स्वरूप, है विराट मेरा रूप
महादेव ने दिया है चंद्रहास मेरे हाथ में
नाम का प्रकोप तीनों लोक में है ऐसा
मेरे नाम से है तीनों लोक थर-थर काँपते
पुत्र कैकसी का, जो भी सीखा ख़ुद से सीखा है
पसंद मुझे जो विश्व में, वो सारा मैंने जीता
नानी-नाना के समक्ष मेरा बाल्यकाल बीता
जहाँ तंत्र-मंत्र, माया का प्रयोग मैंने सीखा
है ना दुखी कोई मेरे साम्राज्य में
मुझसा ना पंडित, बस दानव का भेष है
स्वर्ग जीता और तोड़ा इंद्र के घमंड को
लंका का राजा, दशानन लंकेश मैं
लंका का राजा, दशानन लंकेश मैं
लंका का राजा, दशानन...
जिया स्वाभिमान में जो, वही दानव हूँ मैं
जिसने जीते तीनों लोक, वही मानव हूँ मैं
सारे ग्रहों को है बाँधा, करा काल भी अधीन
महादेव का जो भक्त, वही रावण हूँ मैं
जिया स्वाभिमान में जो, वही दानव हूँ मैं
जिसने जीते तीनों लोक, वही मानव हूँ मैं
सारे ग्रहों को है बाँधा, करा काल भी अधीन
महादेव का जो भक्त, वही रावण हूँ मैं
लाख बुरा कहते मुझको पर वो ये भी जानते
बहन के लिए मैं सीधा लड़ गया भगवान से
भान था मुझे कि मेरी मृत्यु का संकेत है
वो फिर भी बैर ले लिया था मैंने सीधा राम से
आन की थी बात, तभी डाला मैंने हाथ
तभी छल से लेके आ गया था सीता अपने साथ
कभी स्पर्श ना किया था मैंने इच्छा के विरुद्ध
क्योंकि बात वो जो थी, वो मेरी शान के खिलाफ़
इतना बल था मुझमें के मैं राम को विविश करूँ
के युद्ध क्षेत्र में वो अपने शस्त्र धर ही देता
मुझमें विजय पाना तो भगवान के भी वश में ना था
मेरा सगा भाई मेरा भेद 'गर ना देता
कैलाश को उठाया मैंने साथ भोलेनाथ के
भार फिर बढ़ाया मेरे नाथ भोलेनाथ ने
हाथ मेरे दब गए थे नाथ के उस भार से
स्तोत्र गाया मैंने मेरे नाथ को पुकार के
नाम की तरह, वो मेरे शब्द भी अमर हुए
भोलेनाथ के लिए जो छंद मैंने गाए थे
मेरे जैसे योद्धा और कौन है हुआ यहाँ पे
मैं वही हूँ जिसके वध को प्रभु स्वयं आए थे
मेरे जैसे योद्धा और कौन है हुआ यहाँ पे
मैं वही हूँ जिसके वध को राम स्वयं आए थे
मैं वही हूँ जिसके वध को राम स्वयं आए थे
मैं वही हूँ जिसके वध को राम स्वयं आए थे
जिया स्वाभिमान में जो, वही दानव हूँ मैं
जिसने जीते तीनों लोक, वही मानव हूँ मैं
सारे ग्रहों को है बाँधा, करा काल भी अधीन
महादेव का जो भक्त, वही रावण हूँ मैं
जिया स्वाभिमान में जो, वही दानव हूँ मैं
जिसने जीते तीनों लोक, वही मानव हूँ मैं
सारे ग्रहों को है बाँधा, करा काल भी अधीन
महादेव का जो भक्त, वही रावण हूँ मैं
करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो
Written by: Rohit Chaudhay, Vichitra Sain
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