積分
演出藝人
Sunny Khan Durrani
主唱
詞曲
Sunny Khan Durrani
詞曲創作
製作與工程團隊
Sunny Khan Durrani
製作人
歌詞
काश ये भी ग़ज़लों का दौर होता
काश आज भी लफ़्ज़ों पे ग़ौर होता
काश इस खेल में ना होती कोई हार जीत
दिल की दराज़ों की हम करते अब भी छान बीन
काश अब भी होते हम पुराने घर मे
काश मैं ना रोज़ उठता नींद से डर के
काश के ये फ़ासला थोड़ा और कम होता
काश मेरे दिल में कोई भी ना ग़म होता
काश के ये काश कहीं दूर जा के बस जाएँ
काश ग़म भूल के ये लब फिर से हँस पाएँ
काश अबू आज भी होते हमारे साथ मे
कौन लगाए गले बाद ईद की नमाज़ के
काश के मैं लिख पाता क्या है कहानी
काश के तुम जानते जो तुम्हें भी पता नहीं
काश के ये काह का समंदर पार कर जाएँ
इन हसरतों के नीचे कहीं डूब के ना मर जाएँ
मैं सिर्फ अपना दिल इस गीत पे बहा रहा
तो अगर कुछ ग़लत लगे माफ़ करना जाने देना
मैं ख़ुद भी हूँ तंग अपने आप से
समझ लेना गर मैं ना दे सकुन जवाब
काश सांस लेसकते डूब के
तो आज मेरा दोस्त कमरान होता साथ में
काश लोग देख लेते मुड़ के
तो आज कितने रिश्ते छूटते ना हाथ से
काश के ना टूटते बचपन के खिलौने
काश मिल जाते शहरों के कोने
काश के ना टूटते बचपन के खिलौने
काश मिल जाते शहरों के कोने
मैं नुसरत साहब के सवाल से भी तंग
जाने कब होंगे कम इस दुनिया के ग़म
काश मुझे आता रंगों मे बसने का ढंग
तो आस पास के लोग मुझसे ना होते तंग
मैं इतने सालों बाद वही ग़म सुना रहा
तंग नहीं हुए क्या तुम सब मेरी ज़ात से?
मैं अपने शेतानों को कब से सुला रहा
जागे हुए बैठे हैं वो सब पिछली रात से
एक बचपन का दोस्त जो के चला गया कराची
आज तक उसकी कोई खब्बर या पता नहीं
अली शेर अगर मेरा ये गीत तुझ तक पहुंच
जाए जब यादें तटोलु भाई तू अक्सर याद आए
तुझ से भी वैसे ही राब्ता नहीं हो परा
जैसे मेरे अबू तक पैगाम नहीं पहुँच पाया
अबू मैं एक अच्छा बेटा नहीं बन सका
आप के सब ख्वाब मे नहीं पूरा कर सका
अब जब उस रब के आप इतने क़रीब हो
पूछना बनाया मेरे बेटे को अजीब क्यूं
अब भी आपका दिया हुआ वादा नहीं तोड़ा
मैं रख रहा ख्याल, मैं चुप चुप के रो रहा
पर सच्ची जो बात मेरा दिल नहीं लगता है
साँस की है कमी लगे दम घुट्टे दुनिया में
रह रहा हूं यहां सिर्फ़ घर वालों की खातिर
वरना ऐतराज़ नइ गर रुक जाएँ साँसें
मैं सिर्फ अपना दिल इस गीत पे बहा रहा
तो अगर कुछ ग़लत लगे माफ़ करना जाने देना
मैं भी ख़ुद भू हूँ, तंग अपने आप से
समझ लेना गर मैं ना दे सकुन जवाब
Written by: Sunny Khan Durrani

