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क्यूँ ख़ून बहा? क्यूँ लाल हुआ इस हरियाली धरती का मन? क्या छूट गया? क्या टूट गया? क्यूँ लगा प्यार को चाँद ग्रहण? क्यूँ ख़ून बहा? क्यूँ लाल हुआ इस हरियाली धरती का मन? क्या छूट गया? क्या टूट गया? क्यूँ लगा प्यार को चाँद ग्रहण? चाँद ग्रहण, चाँद ग्रहण चाँद ग्रहण, चाँद ग्रहण اللہ हरि ॐ, हरि ॐ हरि ॐ, (हरि ॐ) हम भी इंसाँ, तुम भी इंसाँ, क्या बात हुई? क्यूँ दूर हुए? किसने ये आग लगाई जो हम मिलने से मजबूर हुए? क्यूँ घायल है Kashmir का दिल? क्यूँ सूना है महका गुलशन? क्या छूट गया? क्या टूट गया? क्यूँ लगा प्यार को चाँद ग्रहण? चाँद ग्रहण, चाँद ग्रहण चाँद ग्रहण, चाँद ग्रहण वो सारे अपने बिछड़ गए इस दिल में साथ जिए थे जो अब दिल के कोने-कोने में चुनते हैं बीती यादों को इस भीगे-भीगे मौसम में जलती है एक ख़ामोश अगन क्या छूट गया? क्या टूट गया? क्यूँ लगा प्यार को चाँद ग्रहण? चाँद ग्रहण, चाँद ग्रहण चाँद ग्रहण, चाँद ग्रहण इस वादी में एक वादे का एहसास सुहाना था जितना इस वादी में एक वादे का एहसास सुहाना था जितना रिश्तों के धागे टूटे तो ये दिल रोता है अब कितना ये साए इन सन्नाटों के दे जाते हैं बस एक चुभन क्या छूट गया? क्या टूट गया? क्यूँ लगा प्यार को चाँद ग्रहण? चाँद ग्रहण, चाँद ग्रहण चाँद ग्रहण, चाँद ग्रहण जो अपना था, जो सपना था, क्यूँ आस तोड़ के चला गया? जिसके दम से ये साँसें थी, क्यूँ साथ छोड़ के चला गया? ढलता सूरज कल लाएगा उम्मीदों की एक नयी किरण क्या छूट गया? क्या टूट गया? क्यूँ लगा प्यार को चाँद ग्रहण? क्यूँ ख़ून बहा? क्यूँ लाल हुआ इस हरियाली धरती का मन? क्या छूट गया? क्या टूट गया? क्यूँ लगा प्यार को चाँद ग्रहण?
Writer(s): Santosh Nair, Raajesh Johri Lyrics powered by www.musixmatch.com
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