Kredity
PERFORMING ARTISTS
Jagjit Singh
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Khamosh Ghazipuri
Songwriter
Texty
उम्र जलवों में बसर हो...
उम्र जलवों में...
जलवों में, जलवों में, जलवों में
उम्र जलवों में बसर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में बसर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में...
उम्र जलवों में बसर हो, बसर हो
उम्र जलवों में बसर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में...
उम्र जलवों में बसर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
हर शब-ए-ग़म की सहर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
हर शब-ए-ग़म की सहर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में...
चश्म-ए-साक़ी से पियो
चश्म-ए-साक़ी से पियो
या लब-ए-साग़र से पियो
चश्म-ए-साक़ी से पियो
या लब-ए-साग़र से पियो
पियो, पियो, पियो, पियो
पियो, पियो, पियो, पियो, पियो
चश्म-ए-साक़ी से पियो
या लब-ए-साग़र से पियो
चश्म-ए-साक़ी...
चश्म-ए-साक़ी से पियो
या लब-ए-साग़र से पियो
बेख़ुदी आठों पहर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
बेख़ुदी आठों पहर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में.
नींद, नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
(नींद, नींद)
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
(नींद, नींद, नींद, नींद, नींद, नींद)
नींद तो, नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उनकी अगोश मे सर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उनकी अगोश मे सर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में.
शेख़ करता तो है मस्जिद में ख़ुदा को सजदे
शेख़, शेख़ करता तो है मस्जिद में ख़ुदा को सजदे
सजदे, सजदे
ख़ुदा को सजदे में, सजदे में, सजदे...
सजदे, सजदे
शेख़ करता...
शेख़ करता तो है मस्जिद में ख़ुदा को...
शेख़ करता
शेख़ करता...
शेख़ करता, शेख़ करता तो है मस्जिद में ख़ुदा को सजदे
उसके सजदों में असर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उसके सजदों में असर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में.
सब की नज़रों में हो साक़ी
सब की नज़रों में हो साक़ी, साक़ी
सब की नज़रों में हो साक़ी
(साक़ी: ख़ुदा को कहा हैं यहाँ)
सब की नज़रों में हो साक़ी, ये ज़रूरी है मगर
सब की नज़रों में हो साक़ी
साक़ी, साक़ी, साक़ी, साक़ी, साक़ी
सब की नज़रों...
धा नि रे सा
सा रे गा गा, सा रे रे, सा गा गा गा, सा रे रे
सा मा पा गा रे सा, धा नि रे सा
सा गा मा धा नि सा, धा नि सा मा रे
मा रे नि नि सा, मा रे रे नि सा
धा नि धा, धा नि धा, धा नि धा
सब की नज़रों...
मा धा नि सा, धा नि सा मा रे
मा रे नि धा मा रे
गा मा पा गा, गा मा पा धा
मा पा धा नि सा, धा नि पा
गा मा पा गा, मा रे नि रे सा धा नि
नि सा रे मा धा नि सा
मा धा नि सा, मा धा नि सा
सब की नज़रों में...
सब की नज़रों में हो साक़ी, ये ज़रूरी है मगर
सब पे साक़ी की नज़र हो, ये ज़रूरी तो नहीं
सब पे साक़ी की नज़र हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में बसर हो, ये ज़रूरी तो नहीं
उम्र जलवों में...
Written by: Jagjit Singh, Khamosh Ghazipuri