Texty

ओ बँजारे, सूनी वह मंज़िल तुझ को पुकारे ओ रुक जा रे, बेफिक्र तू हो के मेरे संग यूँ आ रे वो झिलमिल से सितारे वो नदी के किनारे बैठे हुए वहीं पे तू क्यूँ भूल गया रे ओ बँजारे, सूनी वह मंज़िल तुझ को पुकारे ओ ना जा रे, बेफिक्र तू हो के मेरे संग यूँ आए हैं रातें क्यूँ तनहा रे खोई हैं क्यूँ बहारें हम को तो पता है यह खुद को तू समझा रे ओ बँजारे सूनी वह मंज़िल तुझ को पुकारे ओ ना जा रे, बेफिक्र तू हो के मेरे संग यूँ आए
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