Texty
सुन ज़रा, अर्ज़ियाँ मैं माँगता हूँ मेरे खुदा से तेरी
सुन ज़रा, ख़ाब मेरे नींद में भी करते हैं बातें तेरी
१०० बार खुदा से माँगा है, मन्नत का तू वो धागा है
तू प्यार के बदले में अपनी यादें दे गया
मैं ग़ैर था तेरे लिए, फिर मुझे सपने क्यूँ दे गया?
मैं ग़ैर था तेरे लिए, फिर मुझे सपने क्यूँ दे गया?
हाथों की लकीरें बिखरी हुई हैं
क़िस्मत में जाने क्या लिखा
काश तू कहीं से मिल जाए मुझको
सजदे मैं करता सिर झुका
मैं याद में तेरी हर लम्हा, अरसे से खुद में रहता हूँ
तू ख्वाहिशों से बढ़कर झूठे वादे दे गया
मैं ग़ैर था तेरे लिए, फिर मुझे सपने क्यूँ दे गया?
मैं ग़ैर था तेरे लिए, फिर मुझे सपने क्यूँ दे गया?
मैं ग़ैर था तेरे लिए, फिर मुझे सपने क्यूँ दे गया?
मैं ग़ैर था तेरे लिए, फिर मुझे सपने क्यूँ दे गया?
Writer(s): Pankaj Dixit
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