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Kredity
PERFORMING ARTISTS
Divya Jyoti Jagrati Sansthan
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Divya Jyoti Jagrati Sansthan
Songwriter
Texty
पितासि लोकस्य
चराचरस्य
त्वमस्य पूज्यश्च गुरुर्गरीयान्
हो सूक्ष्म तुम विराट तुम
अज्ञात तुम विज्ञात तुम
उद्गम तुम्हीं निर्गम तुम्हीं
हो जगत के आधार तुम
सौम्य और विकराल भी
आधीन और महाकाल भी
खंड और अखंड भी
जड़ भी हो, शक्ति प्रचंड भी
आदि तुम्हीं हो अंत भी
अणु और अनंत भी
भवसिंधु का प्रवाह और
भवबंध से निस्तार तुम
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
हो प्रलय का शोर तुम
गम्भीर और घनघोर तुम
हो सृजन का गीत भी
ताल - लय - संगीत तुम
पूर्ण भी हो शेष भी
जीव भी अखिलेश भी
माया भी हो और मोक्ष भी
प्रत्यक्ष भी परोक्ष भी
पतन-विकास, तमस-प्रकाश
जल तेज वायु धरा आकाश
विश्वरूप विशाल हो
सर्वेश धर्मपाल हो
गीता का तुम ही ज्ञान हो
वेदों का तुम ही विधान हो
हे संस्कृति के स्तम्भ
युगनायक कृपासिंधु
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
वसुदेव सूतं देवं
कंस चाणुर मर्दनम्
देवकी परमानदं
कृष्णम् वन्दे जगतगुरूम्
Writer(s): Divya Jyoti Jagrati Sansthan
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