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Kredity
PERFORMING ARTISTS
Narci
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Shanti Swaroop
Composer
PRODUCTION & ENGINEERING
xzeus
Producer
Texty
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
तेरा सावन आया, देवों के हे देव
मेरी आँखों का भी सावन ज़रा देख
दिया तेरे आगे मैंने माथा टेक
पीड़ा हरो मेरी, मेरे महादेव
तेरा दास ना तो राम या तो रावण है
दिल में बदता मेरे पापों का ही सागर है
काँटों पे चलूँ मैं तो नाम लेके तेरा ही
हृदर ने पीड़ा का उठाया जैसे काँवड़ है
भरा काफ़ी, मुझे आगे तेरे होना ख़ाली
तुमसे छुपी ना है बातें मेरी पीड़ा वाली
तेरे सिवा इन लोगों से मैं पूछूँ क्या?
ये तो गानों में भी देते मुझे आके गाली
कली के काल में तू ही मुझे थामता है
साथ तेरे दास, दुखों को भी बाँटता है
लोग सोचे, मेरी ज़िंदगी विलास की
मेरा अकेलापन तू ही, प्रभु, जानता है
मेरी चीखों में है शोर माना नहीं शोर भरा
सीना चीर के ये दिल तेरी ओर करा
तूने ही देखा जब ख़ाली पेट सोया था
वरना दुनिया ने ना मुझपे कभी ग़ौर करा
गिला कोई नहीं, दिया तूने सारा कुछ
पा के सारा कुछ गए नहीं सारे दुख
तेरी दुनिया में सगा नहीं मिला कोई
तेरे नाम में ही ढूँढा मैंने सारा सुख
मेरे माथे को, हाँ, जैसे त्रिशूल मिला
मेरी नसों को, हाँ, लगा जैसे ख़ून मिला
पैर थमे मेरे तेरे ही शहर में
प्रभु, मुझे तेरी काशी में सुकून मिला
प्रभु, मुझे तेरी काशी में सुकून मिला
महादेव, तेरी काशी में सुकून मिला
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
डमरू निनाद बाजे
डमरू निनाद बाजे
कर में त्रिशूल धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
शंकर, तेरी जटा में बहती है गंग धारा
मेरे माथे को, हाँ, जैसे त्रिशूल मिला (शंकर, तेरी जटा में)
मेरी नसों को, हाँ, लगा जैसे ख़ून मिला (बहती है गंग धारा)
पैर थमे मेरे तेरे ही शहर में (शंकर, तेरी जटा में)
प्रभु, मुझे तेरी काशी में सुकून मिला (बहती है गंग धारा)
मेरे माथे को, हाँ, जैसे त्रिशूल मिला (शंकर, तेरी जटा में)
मेरी नसों को, हाँ, लगा जैसे ख़ून मिला (बहती है गंग धारा)
पैर थमे मेरे तेरे ही शहर में (शंकर, तेरी जटा में)
प्रभु, मुझे तेरी काशी में सुकून मिला (बहती है गंग धारा)
Writer(s): Shanti Swaroop
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