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Kredity
PERFORMING ARTISTS
Salim Merchant
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Jaideep Sahni
Lyrics
Texty
पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो
दिल बोले, "सोया था, अब जगने दो"
दिल दिल में हैं दिल की तमन्ना सौ
दो सौ हों, चलो ज़रा सी तपने दो
उड़ने दो, हो-हो (उड़ने दो)
उड़ने दो, हो-हो
हवा ज़रा सी लगने दो
सोया था, अब जगने दो
पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो
धूप खिली, जिस्म गरम सा है
सूरज यहीं, ये भरम सा है
बिखरी हुईं राहें हज़ारों-सौ
थामो कोई, फिर भटकने दो
उड़ने दो, हो-हो (उड़ने दो)
उड़ने दो, हो-हो
हवा ज़रा सी लगने दो
सोया था, अब जगने दो
पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो
उड़ने दो, हो
हवा ज़रा सी लगने दो
दिल की पतंग छाँव में गोते खाती है
ढील तो दो, देखो कहाँ पे जाती है
उलझें नहीं तो कैसे सुलझोगे?
बिखरें नहीं तो कैसे निखरोगे?
उड़ने दो, हो-हो (उड़ने दो)
उड़ने दो, हो-हो
हवा ज़रा सी लगने दो
सोया था, अब जगने दो
पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो
उड़ने दो, हो
हवा ज़रा सी लगने दो
Writer(s): Jaideep Sahni
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