Songtexte

ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़, ये तिरा बयान ग़ालिब तुझे हम वली समझते जो ना बादा-ख़्वार होता -बेक़रारी है फिर कुछ इक दिल को बेक़रारी है सीना जूया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं हम फिर उसी... फिर वही ज़िंदगी हमारी है फिर वही ज़िंदगी हमारी है बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं ग़ालिब बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं... बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं ग़ालिब कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी...
Writer(s): Mirza Ghalib, Jagjit Singh Lyrics powered by www.musixmatch.com
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