Στίχοι

ये दुनिया गोरख-धंधा है (ये दुनिया गोरख-धंधा है) सब जग माया में अँधा है (सब जग माया में अँधा है) जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना क्या जाने जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना क्या जाने कोई कितना चाहे ज्ञान कहे भगवान को पाना क्या जाने जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना क्या जाने दिखावे से, बताने से या मंदिरों में जाने से जताने से, पहनावे से या बड़ी बातें लाने से मिलेंगे ना हरि तुझे किसी भी ठिकाने में दिल ही पड़ा मैला तो ना मिलेंगे ज़माने में व्यस्त है ज़माना सारा हरि को ही पाने में पाने में ना मज़ा, जो मज़ा है समाने में चाहता हूँ समाना, मैं ना पाने की हूँ दौड़ में समय ना गँवाता हूँ मैं आस्था बताने में हरि जाने आस्था, क्यूँ ही मैं सफाई दूँ? सारे ही ज़माने को तो क्या ही मैं गवाही दूँ आस्था की मेरी बस बात यही बोलूँ हरि है सच्चाई, मैं तो बस परछाई हूँ वो जाने, पहचाने मुझे, मेरे ये तराने भूमिका प्रह्लाद की मैं धरा पे निभाने आया हूँ मैं, सखा, और पूरी ही निभाऊँगा उपासकों से ज़्यादा हरि के दीवाने जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना क्या जाने जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना क्या जाने कोई कितना चाहे ज्ञान कहे भगवान को पाना क्या जाने जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना क्या जाने जिस अँधे ने प्रभु को... जिस अँधे ने प्रभु को... जिस अँधे ने प्रभु को... वो रूप बताना क्या जाने ये गाना नहीं प्रार्थना, काग़ज़ों में आत्मा आस्था तू आके चाहे लेना मेरी आज़मा हरि है सुकून मेरे लगे हर घाव का दे रहे हो साथ मेरा, धन्यवाद आपका मिल रही पहचान मुझे आपके ही कारण आपने ही नाम किया, मैं तो था साधारण दुनिया का क्या है, ये तो दोष देने बैठी है आपके आदेशों का मैं करने बैठा पालन हरि बिना काया मेरी वैसे ही बेसुध आपकी कृपा से जीतूँ सारे छिड़े युद्ध घूमता मैं पीठ पे बैठा के, प्रभु, आपको मुझे जो बनाया होता आपने गरुड़ कली का ये काल करे धर्म के विरुद्ध आपका ये नाम करे दास को भी शुद्ध घूमता मैं पीठ पे बैठा के, प्रभु, आपको मुझे जो बनाया होता आपने गरुड़ जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना क्या जाने जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना क्या जाने कोई कितना चाहे ज्ञान कहे भगवान को पाना क्या जाने जिस अँधे ने प्रभु को देखा नहीं वो रूप बताना... मुझे जो बनाया होता आपने गरुड़ जिसने कभी प्रेम किया ही नहीं वो प्रेम निभाना क्या जाने
Writer(s): Shanti Swaroop Lyrics powered by www.musixmatch.com
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