Στίχοι
क्यूँ ढूँढे है तू खुद में ग़म, ये बता
जब जादू यहाँ चलती फ़िज़ाओं में है
क्यूँ ढूँढे है तू रात में दिन का पता
जब मस्ती यहाँ चाँदनी राहों में है?
क्यूँ देखे है तू आँख भर एक सपना?
सपने तो यहाँ बुनते हज़ारों में हैं
क्यूँ ढूँढे है तू भीड़ में एक अपना?
अपने तो यहाँ सब अंजाने भी हैं
क्यूँ ढूँढे है तू रात में दिन का पता
जब मस्ती यहाँ चाँदनी राहों में है?
Writer(s): Vipul Dhankher
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