Lyrics

क्यूँ निगाहें निगाहों को शिकवे सुनाएँ? मुर्दा अफ़सुर्दा लफ़्ज़ों के मानी जगाएँ जो है खुद से शिक़ायत क्यूँ तुझको बताएँ? क्यूँ हम यादों के रंगों से ख़्वाबों को सजाएँ? ये कैसी बात बढ़ रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? ये कैसी बात जग रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ सुबह खिल रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ शाम ढल रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ निगाहें निगाहों को शिकवे सुनाएँ? मुर्दा अफ़सुर्दा लफ़्ज़ों के मानी जगाएँ बात सहमी-सहमी सी तेरी ओर थी चली फिसल गई क्यूँ? मैंने बर्फ़ सी कही, शोला बन तुझे मिली बदल गई क्यूँ? मायनों के बोझ से बात सीधी-साधी सी कुचल गई क्यूँ? बात आंधियाँ लिए होंठों तक तो आयी थी ठिठक गई क्यूँ? बात कोई गीत बन हौले गुनगुनाई थी बरस गई क्यूँ? बात रेशमी सी एक सेज पे बिछाई थी उलझ गई क्यूँ? Hey, बोलो ना, hey, बोलो ना, जी बोलो ना हमको भँवर में यूँ छोड़ो ना ढाई सा आखर है बोलो ना जी बोलो ना, जी बोलो ना, जी बोलो ना ये कैसी बात बढ़ रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? ये कैसी बात जग रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ सुबह खिल रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ शाम ढल रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ निगाहें निगाहों को शिकवे सुनाएँ? मुर्दा अफ़सुर्दा लफ़्ज़ों के मानी जगाएँ जो है खुद से शिक़ायत क्यूँ तुझको बताएँ? क्यूँ हम यादों के रंगों से ख़्वाबों को सजाएँ? ये कैसी बात बढ़ रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? ये कैसी बात जग रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ सुबह खिल रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ शाम ढल रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ निगाहें निगाहों को शिकवे सुनाएँ? मुर्दा अफ़सुर्दा लफ़्ज़ों के मानी जगाएँ ये कैसी बात बढ़ रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? ये कैसी बात जग रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ सुबह खिल रही है तेरे-मेरे दरमियाँ? क्यूँ शाम ढल रही है तेरे-मेरे दरमियाँ?
Writer(s): Swanand Kirkire, Shantanu Moitra Lyrics powered by www.musixmatch.com
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