Lyrics
ये दिन क्यूँ निकलता है?
ये रात क्यूँ होती है?
ये पीड़ कहाँ से उठती है?
ये आँख क्यूँ रोती है?
मोहब्बत है क्या चीज़...
मोहब्बत है क्या चीज़, हमको बताओ
मोहब्बत है क्या चीज़, हमको बताओ
ये किसने शुरू की...
किसने शुरू की, हमें भी सुनाओ
मोहब्बत है क्या चीज़, हमको बताओ
ये किसने शुरू की, हमें भी सुनाओ
मोहब्बत है क्या चीज़...
मोहब्बत है क्या चीज़...
शाम तक था एक भँवरा फूल पर मंडला रहा
रात होने पर कमल की पंखड़ी में बंद था
क़ैद से छूटा सुबह तो हमने पूछा, क्या हुआ?
कुछ ना बोला, कुछ ना बोला
कुछ ना बोला, अपनी धुन में बस यही गाता रहा
मोहब्बत है क्या चीज़, हमको बताओ
ये किसने शुरू की, हमें भी सुनाओ
मोहब्बत है क्या चीज़...
मोहब्बत है क्या चीज़...
दहकता है बदन कैसे? सुलगती हैं ये साँसें क्यूँ?
ये कैसी आग होती है? पिघलती है ये शम्मा क्यूँ?
दहकता है बदन कैसे? सुलगती हैं ये साँसें क्यूँ?
ये कैसी आग होती है? पिघलती है ये शम्मा क्यूँ?
जल उठी शम्मा तो मचल कर परवाना आ गया
आग के दामन में अपने-आप को लिपटा दिया
हमने पूछा, दूसरे की आग में रखा है क्या?
कुछ ना बोला, कुछ ना बोला
कुछ ना बोला, अपनी धुन में बस यही गाता रहा
मोहब्बत है क्या चीज़, हमको बताओ
ये किसने शुरू की, हमें भी सुनाओ
मोहब्बत है क्या चीज़...
मोहब्बत है क्या चीज़...
नशा होता है कैसा? बहकते हैं क़दम कैसे?
नज़र कुछ भी नहीं आता, ये मस्ती कैसी होती है?
एक दिन गुज़रे जो हम मय-कदे के मोड़ से
एक मयकश जा रहा था मय से रिश्ता जोड़ के
हमने पूछा, किस लिए तू उम्र-भर पीता रहा?
कुछ ना बोला, कुछ ना बोला
कुछ ना बोला, अपनी धुन में बस यही गाता रहा
मोहब्बत है क्या चीज़, हमको बताओ
ये किसने शुरू की, हमें भी सुनाओ
मोहब्बत है क्या चीज़, हमको बताओ
ये किसने शुरू की, हमें भी सुनाओ
मोहब्बत है क्या चीज़...
मोहब्बत है क्या चीज़...
मोहब्बत है क्या चीज़...
Writer(s): Laxmikant-pyarelal, Santosh Anand
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