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हमारी इस नज़ाकत को क़यामत से ना कम समझो हमें ऐ चाहने वालों न मिट्टी का सनम समझो थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है हीरे मोती जड़ते हैं थोड़ा सोना लगता है ऐसा गोरा बदन तब बनता है थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है हीरे मोती जड़ते हैं थोड़ा सोना लगता है ऐसा गोरा बदन तब बनता है थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ दिल को प्यार का रोग लगा के ज़ख़्म बनाने पड़ते हैं ख़ून-ए-जिगर से अरमानों के फूल खिलाने पड़ते हैं दिल को प्यार का रोग लगा के ज़ख़्म बनाने पड़ते हैं ख़ून-ए-जिगर से अरमानों के फूल खिलाने पड़ते हैं दर्द हज़ारों उठते हैं कितने काँटे चुभते हैं कलियों का चमन तब बनता है थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है हीरे मोती जड़ते हैं थोड़ा सोना लगता है ऐसा गोरा बदन तब बनता है थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ हँस के दो बातें क्या कर ली तुम तो बन बैठे सैयाँ पहले इनका मोल तो पूछो फिर पकड़ो हमरी बैयाँ हँस के दो बातें क्या कर ली तुम तो बन बैठे सैयाँ पहले इनका मोल तो पूछो फिर पकड़ो हमरी बैयाँ दिल दौलत दुनिया तीनों प्यार में कोई हारे तो वो मेरा सजन तब बनता है थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है हीरे मोती जड़ते हैं थोड़ा सोना लगता है ऐसा गोरा बदन तब बनता है थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है हीरे मोती जड़ते हैं थोड़ा सोना लगता है ऐसा गोरा बदन तब बनता है थोड़ा रेशम लगता है थोड़ा शीशा लगता है ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ आ आ आ आ आ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
Writer(s): Anand Bakshi, Bappi Lahiri Lyrics powered by www.musixmatch.com
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