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भीड़ में साथ में चलते थे और अभी खो गए इतने थे पास हम और अब अजनबी हो गए भीड़ में साथ में चलते थे और अभी खो गए इतने थे पास हम और अब अजनबी हो गए है पता मुझे की तेरी कमी छोड़ जाएगी कुछ ऐसी नमी तू जाने बिना मेरे दिल का हाल टुकड़े-टुकड़े कर चल पड़ी अलग सा है ये इंतज़ार इक आस है मन में दबी हुई ये सोच में मैं डूबा रहूँ क्या बनते हैं? टूटते हैं रिश्ते सभी याद आए तो मिल ही जाऊँगा तुझको यहीं ना भी आए तो समझ जाऊँगा थी मुझमें ही कुछ कमी बात जो कहनी थी तुमसे वो कहें बिना सो गए (सो गए) इतने थे पास हम और अब अजनबी हो गए दिल से होके आँखों से बरसे वो ये शामें है (शाम हैं) खाली थे जो, हाथों ने पकड़े वो जाम हैं (जाम हैं) चुभते सन्नाटे ही तो कई बातें बताते हैं (बताते हैं) हमदर्दी वाले ही अक्सर दर्द दे जाते हैं याद आए तो मिल ही जाऊँगा तुझको यहीं ना भी आए तो समझ जाऊँगा थी मुझमें ही कुछ कमी
Writer(s): Sayeed Quadri Lyrics powered by www.musixmatch.com
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