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मन ये साहिब जी जाने है सब जी
फिर भी बनाए बहाने
नैना नवाबी जी, देखे हैं सब जी
फिर भी ना समझे इशारे
मन ये साहिब जी, हाँ, करता बहाने
नैना नवाबी जी, ना समझे इशारे (समझे इशारे)
धीरे-धीरे, नैनों को धीरे-धीरे
जिया को धीरे-धीरे भायो रे साएबो
धीरे-धीरे, बेगाना धीरे-धीरे
अपना सा धीरे-धीरे लागे रे साएबो
सुर्खियाँ हैं हवाओं में
दो दिलों के मिलने की
हाँ, अर्ज़ियाँ हैं नज़ारों में
लम्हा ये थम जाने की
ओ, कैसे हुज़ूर-ए-जी ये लब दिखलाए
चुप्पी लगा के भी ग़ज़ब हैं ये ढाए
धीरे-धीरे, नैनों को धीरे-धीरे
जिया को धीरे-धीरे भायो रे साएबो
धीरे-धीरे, बेगाना धीरे-धीरे
अपना सा धीरे-धीरे लागे रे साएबो
साएबो
(साएबो...)
Writer(s): Sameer Anjaan, Jigar Mukul Saraiya, Sachin Jayishore Sanghvi, Priya Jigar Saraiya
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