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रे लठ गाड़ दूँ, रे जाड़ा पाड़ दूँ रे लठ गाड़ दूँ, रे जाड़ा पाड़ दूँ माँ के पेट से मरघट तक है तेरी कहानी पग-पग, प्यारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल सूरज तेरा चढ़ता-ढलता, गर्दिश में करते हैं तारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल माँ के पेट से मरघट तक है तेरी कहानी पग-पग, प्यारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल सूरज तेरा चढ़ता-ढलता, गर्दिश में करते हैं तारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल धड़कनें छाती में जब दुबक जाती हैं पीठ थपथपा, उनको फिर जगा, बात बन जाती है बावले हाथी सी हर चुनौती है रे सामने खड़ी, घूर के बड़ी आँख दिखलाती है तो आँख से उसकी आँख मिला के भिड़ जाने का नाम है, प्यारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल सूरज तेरा चढ़ता-ढलता, गर्दिश में करते हैं तारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल रे लठ गाड़ दूँ, रे जाड़ा पाड़ दूँ रे लठ गाड़ दूँ, रे जाड़ा पाड़ दूँ ठोस, मज़बूत भरोसा अपने सपनों पे करना जितने मुँह उतनी बातें, ग़ौर कितनों पे करना आज लोगों की बारी, जो कहें कह लेने दे तेरा भी दिन आएगा, उस दिन हिसाब चुका के रहना अरे, भेड़ की हाहाकार के बदले शेर की एक दहाड़ है, प्यारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल सूरज तेरा चढ़ता-ढलता, गर्दिश में करते हैं तारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल दंगल-दंगल, दंगल-दंगल रे लठ गाड़ दूँ, रे जाड़ा पाड़ दूँ रे लठ गाड़ दूँ, रे जाड़ा पाड़ दूँ कर दिखाने का मौक़ा जब भी क़िस्मत देती है गिन के तैयारी के दिन तुझ को मोहलत देती है माँगती है लागत में तुझ से हर बूँद पसीना पर मुनाफ़ा बदले में ये जान ले बेहद देती है रे बंदे की मेहनत को क़िस्मत का सादर प्रणाम है, प्यारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल सूरज तेरा चढ़ता-ढलता, गर्दिश में करते हैं तारे दंगल-दंगल, दंगल-दंगल दंगल-दंगल, दंगल-दंगल दंगल-दंगल
Writer(s): Amitabh Bhattacharya, Pritaam Chakraborty Lyrics powered by www.musixmatch.com
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