Créditos

ARTISTAS INTÉRPRETES
Ravindra Jain
Ravindra Jain
Intérprete
COMPOSICIÓN Y LETRA
Ravindra Jain
Ravindra Jain
Autoría

Letra

जाते हुए ये पलछिन क्यूँ जीवन लिए जाते?
जाते हुए ये पलछिन क्यूँ जीवन लिए जाते?
जोड़े, यही जोड़े, यही तोड़े सब नाते
जाते हुए ये पलछिन क्यूँ जीवन लिए जाते?
मन जितना जीना चाहे, तन उतना ही मरता जाए
इंसाँ की हिमाक़त देखो उम्मीद ही करता जाए
कोई राह मंज़िल की कहीं सूझे तो बतलाए
जाते हुए ये पलछिन क्यूँ जीवन लिए जाते?
रंग और सुगंध का जादू सदियों से चलता आया
इंसान इन्हीं में डूबा, नादान यही भरमाया
अब कौन ये सोचे, क्या खोया और क्या पाया
जाते हुए ये पलछिन क्यूँ जीवन लिए जाते?
विश्वास में वास है विष का, आशा में छुपी है निराशा
शब्दों के संग ना बहना, है छल से भरी हर भाषा
इंसाँ का दिल भी पत्थर सा जाए तराशा
जाते हुए ये पलछिन क्यूँ जीवन लिए जाते?
जोड़े, यही जोड़े, यही तोड़े सब नाते
जाते हुए ये पलछिन क्यूँ जीवन लिए जाते?
क्यूँ जीवन लिए जाते?
क्यूँ जीवन लिए जाते?
Written by: Ravindra Jain
instagramSharePathic_arrow_out

Loading...