Letra

चल उड़ जा रे, उड़ जा रे, उड़ जा रे... उड़ जा... यूं लगे दिन सारे ज़हरीले तीर हैं जो हमपे चल जाते हैं यूं लगे रातें जैसे तन्हाई के अजगर हैं जो हमें निगल जाते हैं ये जीना भी सोचो कोई जीना है कि अब इंसान मशीन है बनने लगा ये जीना भी सोचो कोई जीना है अपना चहरा खुद हमको भी अजनबी लगने लगा चल उड़ जा रे पंक्षी कहीं उड़ जा रे छोड़ जमीं उड़ जा रे सोच नहीं उड़ जा... चल उड़ जा रे पंक्षी कहीं उड़ जा रे छोड़ जमीं उड़ जा रे सोच नहीं उड़ जा... चल उड़ जा रे, उड़ जा रे, उड़ जा रे... यूं लगे दिन सारे ज़हरीले तीर हैं जो हमपे चल जाते हैं ये जीना भी सोचो कोई जीना है कि अब इंसान मशीन है बनने लगा ये जीना भी सोचो कोई जीना है अपना चहरा खुद हमको भी अजनबी लगने लगा चल उड़ जा रे पंक्षी कहीं उड़ जा रे छोड़ जमीं उड़ जा रे सोच नहीं उड़ जा... झुंझलाई सी ज़िन्दगी है है सुलगा हुआ सा ये दिल राहें हैं, आवारगी है जिसकी कोई नहीं है मंजिल जिस घुटन में जी रहें हैं सारे कोई क्यूं सहे? चांद को बुझा दे, तोड़ तारे रात या कहे ये जीना भी सोचो कोई जीना है कि अब इंसान मशीन है बनने लगा ये जीना भी सोचो कोई जीना है अपना चहरा खुद हमको भी अजनबी लगने लगा चल उड़ जा रे, उड़ जा रे, उड़ जा रे... उड़ जा... चल उड़ जा रे पंक्षी कहीं उड़ जा रे छोड़ जमीं उड़ जा रे सोच नहीं उड़ जा... (उड़ जा रे) (उड़ जा रे) (उड़ जा रे)
Writer(s): Javed Akhtar, Ehsaan Noorani, Loy Mendonsa, Shankar Mahadevan Lyrics powered by www.musixmatch.com
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