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Dhruv Rajpal
Dhruv Rajpal
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नक्षत्र
नक्षत्र
यंग किंग, ना मिला प्यार उसे घर से
सपने थे पूरे करने सफर पे
डर के, नहीं जीना और उसे डर के
तरसे अधूरा मन, उसका भटके
जय शिव, शंकर
कभी ना मिटे ये हंगर
800 करोड़ लोग आपके दर्शक हूँ मैं मंच पर
दृष्टिकोण बदल कर, जब ज़िंदगी देखी नापतोल के
खुशनसीब अपनी आदतों से
वनवास लिया जाके बादलों में
हरि ओम, मुसाफ़िर घूमे खाली गलियों में
सदियों से थे जो गुमराह, नापते नक्शे जो थे नदियों से
Uphill, मुलाकात हुई सच से
सच ये, सुनो सत्संग मेरा सर्दियों में
नक्षत्र
नक्षत्र
नक्षत्र
नक्षत्र
हो गया मैं, मुक्त अब
प्राप्त किया, मैंने मोक्ष
कहानी मेरी, लिखी मैंने जो
प्राप्त किया, मैंने मोक्ष
हो गया मैं, मुक्त अब
प्राप्त किया, मैंने मोक्ष
कहानी मेरी, लिखी मैंने जो
प्राप्त किया, मैंने मोक्ष
बचपन की मुल्तान की बात है
पार्टीशन हो गया, लखनऊ चला गया
बड़ी मेहनतें करनी पड़ी
पहले पैसा कहाँ होता था, सही बात है
शान मारने से कुछ नहीं होता
असलियत बताने से होता है
अच्छा तोह, महनतें करी और गरीबी मिटी
खाने पीने के लायक हुए
माँ हमारी कहती थी देखो
बिस्तरा छोड़ते हो
तोह सालो कुछ खाने को मिलता है
Written by: Dhruv Rajpal
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