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Ravindra Jain
Canto
Shankar Mahadevan
Canto
Letra
(ॐ नमः शिवाय)
आत्यानंतर हित देवं आद्योपांत शुभं करम्
नामानुरूप शिवराजं जगत कल्याण कारकम्
(शिव, शिव, शिव)
(हर-हर-शिव)
(शिव, शिव, शिव)
(हर-हर-शिव)
महादेव, देवाधिदेव, प्रलयंकर, अभ्यंकर
जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
जो शिव, शिव, शिव का जाप करे
उसे काँटा लगे, ना कंकर
(जो शिव, शिव, शिव का जाप करे)
(उसे काँटा लगे, ना कंकर)
महादेव, देवाधिदेव, प्रलयंकर, अभ्यंकर
जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
बागड़ बबम-बम-बम, बबम-बम-बम, बम लहरी, बम लहरी
(बबम-बम-बम, बबम-बम-बम, बम लहरी, बम लहरी)
बम लहरी, बम लहरी (बम लहरी, बम लहरी)
ओ, बागड़ बबम-बम-बम, बबम-बम-बम, बम लहरी, बम लहरी
(बबम-बम-बम, बबम-बम-बम, बम लहरी, बम लहरी)
शिव ऐसे हैं लहरी, जो आए लहर तो
सुरासुर ना देंखें, कृपा-कोष खोलें
(सुरासुर ना देंखें, कृपा-कोष खोलें)
समाधिस्त होकर बीता दें युगांतर
ना पलकें उघारें, ना बोलें, ना डोलें
(ना पलकें उघारें, ना बोलें, ना डोलें)
महादेव, देवाधिदेव, प्रलयंकर, अभ्यंकर
जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
जो शिव, शिव, शिव का जाप करे
(शिव, शिव, शिव, शिव, शिव, शिव, शिव)
जो शिव, शिव, शिव का जाप करे
उसे काँटा लगे, ना कंकर
(जो शिव, शिव, शिव का जाप करे)
(उसे काँटा लगे, ना कंकर)
महादेव, देवाधिदेव, प्रलयंकर, अभ्यंकर
जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
(शिव, शिव, शिव)
(हर-हर-शिव)
(शिव, शिव, शिव)
(ॐ)
गौरीपते, पशुपते, ईशान्पते, नमस्ते, प्राणपते
गंगाधरं, शशिधरं, डरमरुधरं, नमस्ते, नृत्यरते
(गौरीपते, पशुपते, ईशान्पते, नमस्ते, प्राणपते)
ग-प, नि-ग-रे, नि-प-ग-रे, ग-रे, ग-रे, ग-रे-सा
जय शिव ओमकारा
स्वामी, जय जय शिव ओमकारा
जन्म, जरा और मृत्यु...
जन्म, जरा और मृत्यु, हीन, ताप हारा
प्रभु, जय शिव ओमकारा
महादेव, देवाधिदेव, प्रलयंकर, अभ्यंकर
जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
जो शिव, शिव, शिव का जाप करे
उसे काँटा लगे, ना कंकर
(जो शिव, शिव, शिव का जाप करे)
(उसे काँटा लगे, ना कंकर)
महादेव, देवाधिदेव, प्रलयंकर, अभ्यंकर
जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
योगेश्वर, कामेश्वर, सर्वोश्वर, भस्मेश्वर
रौद्र कभी, सौम्य, मूर्तिधारी
(जय-जय त्रिपुरारी, जय-जय त्रिपुरारी)
लक्षित, कभी लक्ष्य, ओझल, कभी समक्ष
निर्गुण-सगुण ब्रह्म, महिमा तव न्यारी
(जय-जय त्रिपुरारी, जय-जय त्रिपुरारी)
जग नायक, वर दायक, शुभ फलचारी
दर्शन सुखकारी, चिन्तन सुखकारी
(जय-जय त्रिपुरारी, जय-जय त्रिपुरारी)
(शिव, शिव, शिव)
(हर-हर-शिव)
(शिव, शिव, शिव)
(ॐ)
शिव एक देव, नास्ति द्वितीय, प्रलयंकारी, लोचन तृतीय
कहे चारों वेद अवर्णनीय, पञ्चाक्षरी मंत्र सुहावे
सुत कार्तिक षष्ट, मुखि सुजान, स्वर सप्त सिद्ध, नर्तन प्रधान
जो अष्टमूर्ति का धरे ध्यान, निश्चित नव-निधियाँ पावे
दसानन को दिया अभय दान, रुद्र एकादस शिव हनुमान
द्वादश ज्योतिर्लिंगों की ज्योति अंतर में ज्योति जगावे
तेरस को ले बारात चले, चौदस गौरी के स्वप्न भले
शिव-पार्वती का हुआ ब्याह, जग महाशिवरात्रि मनावे
(जो शिव, शिव, शिव का जाप करे)
(उसे काँटा लगे, ना कंकर)
जो शिव, शिव, शिव का जाप करे
उसे काँटा लगे, ना कंकर
(महादेव, देवाधिदेव, प्रलयंकर, अभ्यंकर)
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
तव तत्वं ना जानामि दिद्रिशोषि महेश्वरः
ज्ञात्रिशोषि महादेवः मातृशाय नमो नमः
(शिव-शंकर, शिव-शंकर)
(शिव-शंकर, शिव-शंकर)
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
(जय-जय शिव-शंकर, शिव-शंकर)
Written by: Ravindra Jain