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ARTISTAS INTÉRPRETES
Pujya Bhaishri Rameshbhai Oza
Intérprete
COMPOSICIÓN Y LETRA
Pujya Bhaishri Rameshbhai Oza
Autoría
Letra
शिव तांडव स्तोत्रं
जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम्
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी
विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि
धगद्ध-गद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके
किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम
धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस्
फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि
क्वचिद्दि गम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि
जटाभुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा
कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे
मदान्ध सिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे दुरे
मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि
सहस्रलोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर
प्रसून धूलिधोरणी विधूस राङ्घ्रि पीठभूः
भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक:
श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः
ललाटचत्वरज्वलद् धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम्
सुधा मयूखले खया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदे शिरोज टालमस्तु नः
कराल भाल पट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्ड पञ्चसायके
धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक
प्रकल्प नैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम
नवीन मेघ मण्डली निरुद्धदु र्धरस्फुरत्
कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः
निलिम्प निर्झरी धरस्तनोतु कृत्ति सिन्धुरः
कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः
प्रफुल्ल नीलपङ्कजप्रपञ्च कालिम प्रभा
वलम्बिकण्ठ कन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम्
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे
अखर्व सर्व मङ्गला कलाकदंब मञ्जरी
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्त कान्तकं भजे
जयत् वदभ्र विभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस
द्विनिर्ग मत् क्रमस्फुरत् कराल भाल हव्यवाट्
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्ग तुङ्ग मङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः
स्पृषद्विचित्र तल्पयो र्भुजङ्गमौक्ति कस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्ष पक्षयोः
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामही महेन्द्रयोः
समप्रवृत्ति कः कदा सदाशिवं भजाम्यहम्
कदा निलिम्प निर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्
विलोललो ललोचनो ललाम भाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्
इमम् हि नित्य मेव मुक्त मुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि मेति संततम्
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्
पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं
यः शंभु पूजन परंपठति प्रदोषे
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः
इति श्रीरावण कृतम् शिव ताण्डवस्तोत्रम् सम्पूर्णम्
Written by: Pujya Bhaishri Rameshbhai Oza


