Titres les plus populaires de Mahendra Kapoor
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Crédits
INTERPRÉTATION
Mahendra Kapoor
Interprète
Lata Mangeshkar
Interprète
COMPOSITION ET PAROLES
N Dutta
Composition
Sahir Ludhianvi
Paroles/Composition
PRODUCTION ET INGÉNIERIE
Datta Naik
Production
Paroles
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
हसीनों से अहद-ए-वफ़ा चाहते हो
हसीनों से अहद-ए-वफ़ा चाहते हो
बड़े ना-समझ हो, ये क्या चाहते हो
बड़े ना-समझ हो...
तेरे नर्म बालों में तारे सजा के
तेरे शोख़ क़दमों में कलियाँ बिछा के
मोहब्बत का छोटा सा मंदिर बना के
मोहब्बत का छोटा सा मंदिर बना के
तुझे रात-दिन...
तुझे रात-दिन पूजना चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
तेरे प्यार का...
ज़रा सोच लो दिल लगाने से पहले
कि खोना भी पड़ता है पाने के पहले
इजाज़त तो ले लो ज़माने से पहले
इजाज़त तो ले लो ज़माने से पहले
कि तुम हुस्न को...
कि तुम हुस्न को पूजना चाहते हो
बड़े ना-समझ हो, ये क्या चाहते हो
बड़े ना-समझ हो...
कहाँ तक जिएँ तेरी उल्फ़त के मारे
गुज़रती नहीं ज़िंदगी बिन सहारे
बहुत हो चुके दूर रहकर इशारे
बहुत हो चुके दूर रहकर इशारे
तुझे पास से...
तुझे पास से देखना चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
तेरे प्यार का...
मोहब्बत की दुश्मन है सारी ख़ुदाई
मोहब्बत की तक़दीर में है जुदाई
जो सुनते नहीं हैं दिलों की दुहाई
जो सुनते नहीं हैं दिलों की दुहाई
उन्हीं से मुझे...
उन्हीं से मुझे माँगना चाहते हो
बड़े ना-समझ हो, ये क्या चाहते हो
बड़े ना-समझ हो...
दुपट्टे के कोने को मुँह में दबा के
ज़रा देख लो इस तरफ़ मुस्कुरा के
मुझे लूट लो मेरे नज़दीक आ के
मुझे लूट लो मेरे नज़दीक आ के
कि मैं मौत से...
कि मैं मौत से खेलना चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
तेरे प्यार का...
ग़लत सारे दावे, ग़लत सारी क़स्में
निभेंगी यहाँ कैसे उल्फ़त की रस्में?
यहाँ ज़िंदगी है रिवाजों के बस में
यहाँ ज़िंदगी है रिवाजों के बस में
रिवाजों को तुम...
रिवाजों को तुम तोड़ना चाहते हो
बड़े ना-समझ हो, ये क्या चाहते हो
बड़े ना-समझ हो...
रिवाजों की परवाह ना रस्मों का डर है
तेरी आँख के फ़ैसले पे नज़र है
रिवाजों की परवाह ना रस्मों का डर है
तेरी आँख के फ़ैसले पे नज़र है
बला से अगर रास्ता पुर-ख़तर है
बला से अगर रास्ता पुर-ख़तर है
मैं इस हाथ को...
मैं इस हाथ को थामना चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
तेरे प्यार का...
Writer(s): N Dutta, Ludiavani Sahir
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