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Crédits
INTERPRÉTATION
Kishore Kumar
Chant
COMPOSITION ET PAROLES
Bappi Lahiri
Paroles/Composition
Prakash Mehra
Paroles/Composition
Paroles
Hmm, मंज़िलों पे आ के लुटते हैं दिलों के कारवाँ
कश्तियाँ साहिल पे अक्सर डूबती हैं प्यार की
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
जब क़दम ही साथ ना दे तो मुसाफ़िर क्या करे?
यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़ के कोई हाथ ना दे, दिल भला फिर क्या करे?
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत
दिल बहल जाए फ़क़त इतना इशारा ही बहुत
इतने पर भी आसमाँ वाला गिरा दे बिजलियाँ
कोई बतला दे ज़रा ये डूबता फिर क्या करे?
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
प्यार करना जुर्म है तो जुर्म हम से हो गया
क़ाबिल-ए-माफ़ी हुआ करते नहीं ऐसे गुनाह
तंग-दिल है ये जहाँ और संग-दिल मेरा सनम
क्या करे जोश-ए-जुनूँ और हौसला फिर क्या करे?
मंज़िलें अपनी जगह हैं, रास्ते अपनी जगह
जब क़दम ही साथ ना दे तो मुसाफ़िर क्या करे?
यूँ तो है हमदर्द भी और हमसफ़र भी है मेरा
बढ़ के कोई हाथ ना दे, दिल भला फिर क्या करे?
Writer(s): Mehra Prakash, Bappi Lahiri
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