Clip vidéo
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Crédits
INTERPRÉTATION
Kishore Kumar
Interprète
COMPOSITION ET PAROLES
R.D. Burman
Composition
Gulzar
Paroles/Composition
Paroles
मुसाफ़िर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना
मुसाफ़िर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है, बस चलते जाना
मुसाफ़िर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है, बस चलते जाना
एक राह रुक गई, तो और जुड़ गई
मैं मुड़ा तो साथ-साथ राह मुड़ गई
एक राह रुक गई, तो और जुड़ गई
मैं मुड़ा तो साथ-साथ राह मुड़ गई
हवा के परों पर मेरा आशियाना
मुसाफ़िर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है, बस चलते जाना
दिन ने हाथ थाम कर इधर बिठा लिया
रात ने इशारे से उधर बुला लिया
दिन ने हाथ थाम कर इधर बिठा लिया
रात ने इशारे से उधर बुला लिया
सुबह से, शाम से मेरा दोस्ताना
मुसाफ़िर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है, बस चलते जाना
मुसाफ़िर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है, बस चलते जाना
Written by: Gulzar, R.D. Burman


