Paroles

मैं क़दम-क़दम बदलता हूँ यहीं ये ज़िंदगी बदलती ही नहीं है लफ़्ज़ों की कमी मैं इधर-उधर फिसलता ही रहा ये मन कभी सँभलता ही नहीं हूँ यादों में छुपा ये शाम कैसे रंग सी है उड़ती-उतरती पतंग सी है मैं कल की बाँहों में हूँ बसा ये वक़्त भी मुझे भुला गया मैं घड़ी-घड़ी बे-ख़बर ही था क्या राज़ मेरे दिल में है छुपा? है नाम क्या मेरा? क्यूँ सवालों की लहर मुझे मिली? मैं घुल गया, समय की आग थी ये नज़्में भी घुल गईं ये रास्ते क्यूँ अलग से हैं? लिखते-टहलते क़लम से हैं मैं कल की साँसों में हूँ छुपा ये वक़्त भी मुझे भुला गया ये शाम कैसे रंग सी है उड़ती-उतरती पतंग सी है मैं कल की बाँहों में हूँ बसा ये वक़्त भी मुझे भुला... ये रास्ते क्यूँ अलग से हैं? लिखते-टहलते क़लम से हैं मैं कल की साँसों में हूँ छुपा ये वक़्त भी मुझे भुला गया ये वक़्त भी मुझे भुला गया
Writer(s): Prateek Kuhad Lyrics powered by www.musixmatch.com
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