Crédits
INTERPRÉTATION
Raja Hasan
Interprète
Sooraj Pancholi
Interprétation
Isabelle Kaif
Interprétation
COMPOSITION ET PAROLES
Vijay Verma
Composition
Rajesh Manthan
Paroles
Paroles
हाथों से यूँ छूटे हैं क्यूँ?
धागे जुनूँ के टूटे से क्यूँ?
ये हौसले रूठे हैं क्यूँ?
हैं ख़्वाब सारे झूठे से क्यूँ?
किसी घाट पे किसी दीप सा
जलता हूँ मैं जैसे चिता
इसी राख़ में हल मोक्ष का
शव होके ही मिलता शिवा
मैं हो रहा खुद में शिवाला
बाक़ी अभी मुझ में उजाला
खुद में यक़ीं फिर से है देखा
बदलूँगा मैं क़िस्मत की रेखा
आने को है फिर से सवेरा
जाने को है गहरा अँधेरा
जिस मोड़ से रुख़ मोड़ के निकला था मैं
आया फिर से वहीं
उम्मीद की हर रोशनी धुँधली हुई
पलकों में ठहरी नमी
इस दर्द की लहरों का क्या
ना गिनती है, ना है सिरा
मुझे डर नहीं तूफ़ान का
डूबा है जो वो तर गया
मैं हो रहा खुद में शिवाला
बाक़ी अभी मुझ में उजाला
खुद में यक़ीं फिर से है देखा
बदलूँगा मैं क़िस्मत की रेखा
आने को है फिर से सवेरा
जाने को है गहरा अँधेरा
कुछ इस तरह मैं चुप रहा
हर ग़म सहा, रोना तो आया नहीं
बेइंतहा हैरान सा, तनहा रहा
शिकवा किया ना कहीं
जो था मेरा वो खो गया
जो खो गया, अफ़सोस क्या?
तक़लीफ़ से अनजान सा
मैं ज़िंदगी जीता रहा
मैं हो रहा (मैं हो रहा)
खुद में शिवाला (खुद में शिवाला)
बाक़ी अभी (बाक़ी अभी)
मुझ में उजाला
Written by: Rajesh Manthan, Vijay Verma