Paroles
हो, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे खिलता गुलाब, जैसे शायर का ख़्वाब
जैसे उजली किरन, जैसे वन में हिरन
जैसे चाँदनी रात, जैसे नर्मी की बात
जैसे मंदिर में हो एक जलता दीया
ओ, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे सुबह का रूप, जैसे सर्दी की धूप
जैसे बीना की तान, जैसे रंगों की जान
जैसे बलखाए बेल, जैसे लहरों का खेल
जैसे ख़ुशबू लिए आई ठंडी हवा
ओ, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
हो, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे नाचता मोर, जैसे रेशम की डोर
जैसे परियों का राग, जैसे संदल की आग
जैसे १६ सिंगार, जैसे रस की फुहार
जैसे आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ता नशा, ओ
Writer(s): Javed Akhtar, Rahul Dev Burman
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